FSSAI के नए Nutritional labeling, FOP और HSR से जुड़े नियम
FSSAI के नए Nutritional labeling, FOP और HSR से जुड़े नियम को समझने के लिए इन तथ्यों की जानकारी भी अवश्यक है |
भारत में फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) की आवश्यकता पहली बार 2013 में गठित एफएसएसएआई की विशेषज्ञ समिति द्वारा 2014 में सुझाई गई थी।
वर्ष 2019 में, एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम का मसौदा जारी किया, जिसमें खाद्य उत्पादों पर रंग-कोडित लेबल अनिवार्य करने का प्रावधान था।
दिसंबर 2019 में, एफएसएसएआई ने FOPL को सामान्य लेबलिंग नियमों से अलग कर दिया।
15 फरवरी 2022 को, एफएसएसएआई ने अपने मसौदा नियमों में “हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम” अपनाने का निर्णय लिया।
हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR)
हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम खाद्य उत्पादों को 0.5 से 5 सितारों तक की रेटिंग प्रदान करता है।
यह प्रणाली उत्पाद में मौजूद नमक, चीनी और वसा की मात्रा के आधार पर रेटिंग तय करती है, जिसे पैकेज पर प्रदर्शित किया जाता है।
भारत में यह अपनी तरह की पहली प्रणाली होगी, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त खाद्य विकल्प चुनने में मदद करना है।
फ्रंट-ऑफ-पैक (FoP) लेबलिंग सिस्टम
अब पैकेज्ड फूड्स पर नमक, चीनी और संतृप्त वसा (saturated fat) की जानकारी बोल्ड और बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य होगा। यह जानकारी प्रति सर्विंग अनुशंसित डाइटरी अलाउंसेस (RDA) के प्रतिशत योगदान के रूप में दी जाएगी। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करना है और गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) को रोकना है।
FoP लेबलिंग सिस्टम को लंबे समय से उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यकर भोजन चुनने में सहायक वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यासों में से एक माना गया है। यह उसी प्रकार कार्य करता है, जैसे सिगरेट के पैकेट पर छवियों के माध्यम से खपत रोकने का प्रयास किया जाता है। चूंकि भारत में प्रसंस्कृत और अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ रहा है, यह प्रणाली बढ़ती मोटापे की समस्या और अन्य गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और कोडेक्स एलिमेंटेरियस
WHO ने FoP लेबल को पोषण लेबलिंग प्रणाली के रूप में परिभाषित किया है, जो खाद्य पैकेजों के अग्रभाग पर सरल और ग्राफिक जानकारी प्रस्तुत करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को उत्पाद की पोषण गुणवत्ता समझने में मदद मिलती है।
कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन के अनुसार, FoP लेबलिंग को पोषण जानकारी की व्याख्या आसान बनाने के लिए तैयार किया गया है।
हेल्थ रेटिंग प्रणाली की आवश्यकता
स्वास्थ्य खर्च कम करना:
FoPL लागू होने के बाद, अधिकांश देशों ने उपभोक्ताओं के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव देखा है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल लागतों में कमी आई है।
चिली और ब्राजील जैसे देशों ने ‘हाई-इन’ चेतावनी लेबल अपनाकर अस्वास्थ्यकर खाद्य और पेय पदार्थों की खपत को नियंत्रित करने में सफलता पाई है।
स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा:
भारत में फ्रंट-ऑफ-पैकेज चेतावनी लेबलिंग, चीनी, सोडियम, संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कुल वसा जैसे तत्वों के अधिक मात्रा वाले उत्पादों की पहचान करने में मदद करती है। यह गैर-संचारी रोगों से बचाव के लिए एक प्रभावी रणनीति का हिस्सा है
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी लागू:
अब ऑनलाइन बिकने वाले खाद्य उत्पादों पर सभी लेबलिंग जानकारी खरीद से पहले उपभोक्ता को प्रदान करनी होगी। इसमें बैच नंबर या निर्माण तिथि जैसे विवरण को छोड़कर अन्य सभी विवरण अनिवार्य होंगे।
एलर्जन जानकारी:
जिन खाद्य उत्पादों में मूंगफली, सोया, दूध, मछली आदि एलर्जन तत्व होते हैं, उनकी जानकारी अलग से दी जानी चाहिए। यदि क्रॉस-कंटैमिनेशन का जोखिम हो, तो भी इसकी चेतावनी लेबल पर देना अनिवार्य होगा।
ब्रांड नाम के बजाय खाद्य पदार्थ का नाम:
पैकेज के सामने की ओर उत्पाद का सही नाम देना अनिवार्य होगा, ताकि उपभोक्ता को भ्रमित न किया जा सके।
नए प्रतीक और लोगो:
शाकाहारी, मांसाहारी और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त खाद्य पदार्थों के लिए अलग-अलग लोगो और प्रतीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
स्वास्थ्य रेटिंग:
FSSAI ने खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य स्तर का संकेत देने के लिए 1 से 5 स्टार रेटिंग का प्रस्ताव रखा है। यह रेटिंग उत्पाद के नमक, चीनी और वसा की मात्रा पर आधारित होगी।
अस्वीकरण:
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Thanks mam ji 🙏
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